चार ताल
१२ मात्रा . २ मात्रा के ६ विभाग
ताली १ ,५,९,११ पर
खाली ३,७ पर
चार ताल खुले बोलों की ताल है यह पखावज की ताल है तथा तबले पर भी मधुरता के साथ बजाई जाती है. चार ताल की ताली खाली ऊपर लिखी है पहली मात्रा पर सम होता है ताली पहली, पांचवी नोवीं और ग्यारवीं मात्रा पर लगाई जाती है और खाली तीसरी मात्रा और सातवीं मात्रा पर दिखाई जाती है. एक ताल की ताली खाली भी चार ताल की तरह ही होती है लेकिन बोल अलग होते हैं. एक ताल के बोल बंद बोल कहलाते हैं जबकि चार ताल के बोल खुले बोल कहलाते हैं. चार ताल को जोरदार तरीके से तबले में खुले बोल बजाकर दिखाते हैं. चार ताल ध्रुपद गायन के साथ ज्यादा बजाई जाती है.
चार ताल का ठेका के बोल और ताली खाली इस प्रकार है- ताल का ठेका बोलने के बाद सम बोलना व दिखाना ज़रूरी है. इसलिए ताल ख़त्म होने पर पुनः सम लिख दिया गया है.
चार ताल की तिगुन इस प्रकार लिखी जाती है: चार ताल के तीन -तीन बोल इकठ्ठा लिखकर नीचे चंद्राकर नाव बना दी जाती है अर्थात एक मात्र में उतने स्वर बोलने हैं जितने नाव में बैठे हैं.
१२ मात्रा . २ मात्रा के ६ विभाग
ताली १ ,५,९,११ पर
खाली ३,७ पर
चार ताल खुले बोलों की ताल है यह पखावज की ताल है तथा तबले पर भी मधुरता के साथ बजाई जाती है. चार ताल की ताली खाली ऊपर लिखी है पहली मात्रा पर सम होता है ताली पहली, पांचवी नोवीं और ग्यारवीं मात्रा पर लगाई जाती है और खाली तीसरी मात्रा और सातवीं मात्रा पर दिखाई जाती है. एक ताल की ताली खाली भी चार ताल की तरह ही होती है लेकिन बोल अलग होते हैं. एक ताल के बोल बंद बोल कहलाते हैं जबकि चार ताल के बोल खुले बोल कहलाते हैं. चार ताल को जोरदार तरीके से तबले में खुले बोल बजाकर दिखाते हैं. चार ताल ध्रुपद गायन के साथ ज्यादा बजाई जाती है.
चार ताल का ठेका के बोल और ताली खाली इस प्रकार है- ताल का ठेका बोलने के बाद सम बोलना व दिखाना ज़रूरी है. इसलिए ताल ख़त्म होने पर पुनः सम लिख दिया गया है.
चार ताल की दुगुन इस प्रकार लिखी जाती है:- चार ताल के दो-दो बोल इकठ्ठा लिखकर नीचे चंद्राकर नाव बना दी जाती है अर्थात एक मात्र में उतने स्वर बोलने हैं जितने नाव में बैठे हैं.
Tabla Chaar Taal 12 matra |